दिल की ख्वाहिश मुझसे कहती ,
चाह तेरी है मेरी मंजिल ।
राह मिले आसान नहीं तो ,
बना लूं मैं उसको भी मंजिल ।
मंजिल की राह दिखेगी तुझको ,
बस तू चलता जा रे बंदे ।
वक्त नहीं है रुक मत जाना ,
राह दिखेगी खुद के अंदर ।
सर्द हवाओं में लिपटकर ,
तू पार करेगा सात समुंदर ।
राह बनाई है तूने जो,
वो खत्म होगी तेरी मंजिल पर।
गर्म हवाएं जलाएंगी तुझको,
पर पाना है तुझको मंजिल ।
डटा रहा सब मिल जाएगा ,
सब होगा मुट्ठी के अंदर ।।
सब होगा मुट्ठी के अंदर।।
सब होगा मुट्ठी के अंदर।।
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