घर से दूरी बहुत है माना, पर घर को दिल में ही बसाना।

 घर से दूरी बहुत है माना,

पर घर को दिल में ही बसाना।

यह दूरी बस चंद दिनों की,

फिर घर सिर उठाकर जाना ।

वक्त लगेगा लगा दे अब तू,

फिर मां पापा को जा कर सताना ।

तुझे चाहते वह खुद से ज्यादा ,

बस उनकी उम्मीदों को महकाना ।

भटक जाए तू राह से जो बस ,

आंखें बंद कर उन्हें बुलाना ।

आएंगे वह प्यार करेंगे उम्मीदें देंगे ,

फिर तुझको है मंजिल पाना ।

उठ रे बंदे, खड़ा हो चल फिर,

तुझको अभी है दूर तक जाना ।

तुझको अभी है दूर तक जाना।

😊 अमित द्विवेदी😊

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