श्री गुरु आपमें तेज है, आप मेरे भगवान।
कर्म भी आपे धर्म भी आपे, आपे मेरे मान।।
आप मे सुख है आप में दुख भी, आपे मेरे निदान।
शिक्षा दीजै दीक्षा दीजै, आपे देत सम्मान।।
क्रुद्ध हुए तो वक्त भी रोका, खुशी में कटे विश्राम।
अंत काल से अनंत काल तक, आपे गुरु भगवान।।
नहीं मिले जो आप गुरु तब, सांस भी मांगे विश्राम।
वक्त निकलता जा रहा है, दर्शन दीजै भगवान।।
आप ब्रह्मा है आप विष्णु है, आपे रुद्रावतार।
कीजै हम पै कृपा ओ भगवन, आओ हमरे द्वार ।।
आपै है श्रृष्टि निर्माता, आपै मेरे भाग्य विधाता।
करी कृपा है आप ने हम पै, आपै मेरे आत्म निर्माता।।
करो कृपा ओ भगवन हमपै आप हमे निशब्द न कीजै ।
डालो दृष्टि अपनी मुझपर, आप हमे समृद्धि दीजै।।
अमित द्विवेदी :-)

प्रयत्न सराहनीय है निखार की सम्भावना सदैव निहित रहती है प्रयोग से अभ्यास से और अधिक आलोक प्रतिबिम्बित होगा
ReplyDeleteमुझे अच्छा लगा ऐश्वर्य मांग कर आपने भावनात्मक ईमानदारी का परिचय दिया है
लगे रहो मंगल कामनाएं
धन्यवाद।
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